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निफ्टी 50 (Nifty 50) : 50 भारतीय दिग्गजों का संगम, भारत के शेयर बाजार के हाल और रुझानों का एक महत्वपूर्ण मापक है | यह निवेशकों और विश्लेषकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करता है।

  निफ्टी 50: 50 भारतीय दिग्गजों का संगम निफ्टी 50 भारत के शेयर बाजार का एक महत्वपूर्ण सूचकांक है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध 50 सबसे बड़ी भारतीय कंपनियों की ताकत को दर्शाता है। 1. रचना: इसमें भारत की शीर्ष 50 लार्ज-कैप कंपनियां शामिल हैं जो अपने क्षेत्रों में अग्रणी हैं। केवल सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियां ही इस सूचकांक का हिस्सा बन पाती हैं। बैंकिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल, ऊर्जा और अन्य विभिन्न उद्योगों का प्रतिनिधित्व होता है। 2. उद्देश्य: यह एक काल्पनिक पोर्टफोलियो के रूप में कार्य करता है जो भारतीय शेयर बाजार में समग्र हलचल को दर्शाता है। सूचकांक में परिवर्तन, इन 50 कंपनियों के शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का परिणाम होता है। निफ्टी 50 की स्थापना 22 अप्रैल 1995 को हुई थी। इसका आधार वर्ष 1995 है और आधार मूल्य 1000 है। निफ्टी 50 इंडेक्स फंड और ETFs (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) के माध्यम से निवेशकों के लिए उपलब्ध है। 3. गणना: निफ्टी 50 के मूल्य की गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन पद्धति का उपयोग करके की जाती है। इसमें आधार अवधि के दौरान निफ्टी 50 में सभी

भारतीय शेयर बाजार और उसके मुख्य कार्यकारी (Indian Share Market and its main functinaries)

  भारतीय शेयर बाजार और उसके मुख्य कार्यकारी  भारतीय शेयर बाजार देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आइए जानते हैं इसकी मुख्य बातें और प्रमुख कार्यकारी:                     मुख्य कार्यकारी: स्टॉक एक्सचेंज: ये ऐसे मंच हैं जहां निवेशक कंपनियों के शेयर खरीदते और बेचते हैं. भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई): मुंबई स्थित प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज. इसमें निफ्टी 50 और निफ्टी नेक्स्ट 50 जैसे लोकप्रिय सूचकांक हैं. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई): 1875 में स्थापित, यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है. इसका मुख्य सूचकांक, सेंसेक्स, 30 बड़ी और स्थापित कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी): भारतीय प्रतिभूति बाजार की देखरेख और विकास के लिए जिम्मेदार नियामक निकाय. यह निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करता है और निवेशकों के हितों की रक्षा करता है. डिपॉजिटरीज: ये संस्थान इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रतिभूतियों को रखते हैं, जिससे भौतिक प्रमाणपत्रों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. भारत